दरवाजे की घंटी ने जो बुलाया
देख सात-आठ लोग चकमकाया
ध्यान से देखा तो केसरिया गले
कहे राममंदिर हेतु अक्षत है आया
श्रद्धा भाव से बढ़ गयी हथेलियां
लगा कोई नहीं मेरे राम दरमियां
राममंदिर फोटो संग इतिहास पाया
जो देखता पढ़ता था वह अक्षत है आया
कुहूक एक उठी सारी गलियां जगी
राम कण-कण में अक्षत की डली
बारह दीपक जलाने का था निदेश
कह जै श्रीराम बढ़ गयी वह टोली
व्यक्ति में भी प्रभुता हुई दृष्टिगोचित
राम मर्यादा से हो भला क्या उचित
राम से ही सृजित संचित आत्म बोली
भजन गूंज उठा दिया ताल मन ढोली
सर्जना की अर्चना का भव्यता साक्षात
अक्षत बोल पड़ा सनातन ही उच्छ्वास
भारत संग विश्व गुंजित हो प्रीत मौली
विवाद निर्मूल सारे जीव राम टोली।
धीरेन्द्र सिंह
07.01.2024
08.28
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