मन भावों की करने गहरी एक जांच
नववर्ष के प्रथम प्रहर निकला चांद
देख चांद मन बोला क्या तुम पाओगे
भाव जंगल मन में भटक थक जाओगे
यहां वेदना सघन कोई न पाता आंक
नववर्ष के प्रथम प्रहर निकला चांद
मनगामी अनुगामी तथ्यपूर्ण है कल्पना
सत्य अल्प अनुभूतियां बाकी है जपना
सब दोहरे हैं सबकी अपनी-अपनी मांद
नववर्ष के प्रथम पहर निकला चांद
क्या प्रतीक है यह और प्रकृति संदेश
ताक रहा भाव नयन से कोई विशेष
सरपंच सा व्योम क्या सुन रहा फरियाद
नववर्ष के प्रथम पहर निकला चांद।
धीरेन्द्र सिंह
02.01.2024
13.57
सुंदर सृजन
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