प्रहर की डगर पर, अठखेलियां
पक्षी फड़फड़ाए, छुपे हैं बहेलिया
मार्ग प्रशस्त और अति व्यस्त
कहीं उल्लास तो है कोई पस्त
चंपा, चमेली संग कई कलियां
पक्षी फड़फड़ाए, छुपे हैं बहेलिया
लक्ष्यप्राप्ति को असंख्य जनाधार
आत्मदीप प्रज्ज्वलित लौ संवार
सुगबुगाहट में सुरभित हैं बस्तियां
पक्षी फडफ़ड़ाए, छुपे हैं बहेलिया
बहेलिया स्वभाव करे छुप घात
नकारात्मकता से रखे यह नात
कलरव मर्दन करने की तख्तियां
पक्षी फड़फड़ाए, छुपे हैं बहेलिया।
धीरेन्द्र सिंह
04.02.2024
20.47
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