जितनी छपी है क्या सब पढ़ ली
फिर क्यों अपनी अभी छपवाली
भाषाओं में नित नए सृजन तौर
मौलिक हैं कितने कौन करे गौर
अपनी महत्ता क्या सब में बढ़ाली
फिर क्यों अपनी अभी छपवाली
क्या लिखे क्यों लिखे सिलसिले
पहले भी यही लिखा सत्यमिले
लेखन से क्या रचनात्मकता खिली
फिर क्यों अपनी अभी छपवाली
पुस्तक प्रकाशन शौक और नशा
रचनाकार बिन पके लिखा वो फंसा
कई प्रकाशकों के झांसे गली-गली
फिर क्यों अपनी अभी छपवाली
अनेक पुस्तक लेखक लगें निरुत्तर
पुस्तक की चाह जैसे पुत्री-पुत्तर
हिंदी इस जंजाल की ज्ञात क्या कड़ी
फिर क्यों अपनी अभी छपवाली।
धीरेन्द्र सिंह
06.01.2024
15.32
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