मंगलवार, 2 जनवरी 2024

आपकीं लाइक

 मेरी रचना इकाई न दहाई

आपकी लाइक से हर्षाई


अभिव्यक्ति में आसक्ति नहीं

शब्दों में मनयुक्ति नहीं

भावनाओं की है उतराई

आपकी लाइक से हर्षाई


मन उत्साहित है लेखन

शब्द अबाधित हैं खेवन

है रहस्य रचना तुरपाई

आपकीं लाईक से हर्षाई


सत्य ही साहित्य है

तथ्य ही व्यक्तित्व है

सर्जना की ऋतु अंगड़ाई

आपकी लाईक से हर्षाई


स्नेह की स्निग्धता आपूरित

मेघ की निर्द्वंदता समाहित

भावनाएं प्रवाहित छुईमुई

आपकी लाइक से हर्षाई।



धीरेन्द्र सिंह

03.01.2024

10.22

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