तृषित नयन डूबे गहन करे आचमन
गहराई की गूंज रचे प्रक्रिया हयवदन
प्रगति की गति नहीं जो मति नहीं
निर्णय कैसा जहां उदित सहमति नहीं
द्वार-द्वार ऊर्जा की प्रज्ज्वलित अगन
गहराई की गूंज रचे प्रक्रिया हयवदन
दृष्टि गरज तो क्या दृष्टिकोण सरस
बदलियां घनी तो क्या व्योम जाए बरस
भ्रम रचित कर्म में युक्तियां गबन
गहराई की गूंज रचे प्रक्रिया हयवदन।
धीरेन्द्र सिंह
02.01.2024
18.10
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