बुधवार, 13 सितंबर 2023

हिंदी दिवस 2023

 आज बहुत जग धूम मचाए, हिंदी

आ सहला दूं सिर थोड़ा सा, हिंदी


बार-बार फिर एकबार तू मंचाधीन

कहें लोग तू सशक्त तू है प्रवीण

भारत के माथे की तू ही अटल बिंदी

आ सहला दूं सिर थोड़ा सा, हिंदी


मृदुल यातना का दिन है यह पर्व

झूठ कितना दर्शाता है मंचों का गर्व

तू यह सुनते-सुनते हो जाती चिंदी-चिंदी

आ सहला दूं सिर थोड़ा सा, हिंदी


तू असत्य वादों की, स्वीकृत सत्य है

विचलित भावों का भी, अमूर्त कथ्य है

तुझको तुझसे लूट रहे, भाषा की हदबंदी

आ सहला दूं सिर थोड़ा सा, हिंदी


चाहा था चुप रहूं और परिवेश गहूं

नए वायदे, संग पुरानी धार बहूँ

तेरी बेचैनी ने तोड़ा निर्मित तटबंदी

आ सहला दूं सिर थोड़ा सा, हिंदी।


धीरेन्द्र सिंह

14.09.2023

10.08


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