शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

जिद

 

संवर जाने की जिद नयन जो किए

बदन तब महक चमन हो गया

पलकों की चांदनी छा गयी इस तरह

लगन अलमस्त दहन हो गया

 

मन की बारीकियां होंठ पर छा गयीं

भाव तत्परता से सघन हो गया

ढाँप कर कहन के वह कदम

फिर वही खूबसूरत वहम हो गया

 

देह की दिव्यता में नव अभिव्यक्तियां

आसक्तियों से बदन का नमन हो गया

मन व्याकुल बेचैन होने लगा

कैसे नयनों से भावों का गबन हो गया।

 


धीरेन्द्र सिंह

30.12.2023

02.54

असर कर गए

 इस तरह मन मेरे वह ग़दर कर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


युद्ध भावों का लंबे समय से है जारी

युक्ति, छल, कपट की उनकी तैयारी

मुझे चक्रव्यूह के नजर कर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


ना कृष्ण जैसे के हाथों में वल्गाएँ

ना अर्जुन सी धनुर्विद्या कामनाएं

निपट अकेला कर डगर धर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


युद्ध अनिवार्यता, है जीवन समाहित

स्वार्थ सर्वोच्च, लाभ का जिसमें हित

कौशल युद्ध जो सीखा बब्बर हो गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


कैसे कह दूं है उनकी कोई यह चाल

लाभ व्यक्तिगत हेतु बनाया मुझे ढाल

चाहतों में फंस वह बसर कर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए।



धीरेन्द्र सिंह

29.12.2023

15.59

बुधवार, 27 दिसंबर 2023

गुजरिया

 भाग्य के भंवर में प्यार की नगरिया

मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया


दिल दिलदार यह हो रहा है असरदार 

मिल एक ठाँह भाव युग्म हो रसधार

कहीं छांव बैठ बचाकर जग नजरिया

मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया


भावकलश में गंगाजल की हैं हिलोरें

अर्चना की प्रीत में संग गीत डुबो रे

पावनी अनुभूतियों संग चाह की बदरिया

मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया


परिचय अपरिचय संपर्क से होते तय

भावनाएं मिल गईं तो प्यार हो निर्भय

प्रणय की फुहार में श्रृंगार की रसबतिया

मोहें पाश बांध लें राह की गुजरिया।


धीरेन्द्र सिंह

27.12.20२3


09.16

पुणे

मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

मिलती हो

 तुम मुझे हवा की नमी में कहीं मिलती हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो


एक धर्म जिसका एक सा कर्म लिए प्रसार

एक लक्ष्य सबका एक सा प्यार लिए संसार

भाव मिलन के अनंत वितान में उड़ती हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो


मंद हवा शीतलता भरकर गली- गली में दौड़े

आनंद छुवा कृत्रिमता हरकर हिली-मिली कोड़े

परिवेश पहनकर मौसम बन उन्मुक्त विचरित हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो


जब छूना छू लेती हो धरा गगन के रूप

मन अंधियारा जब छाए याद तुम्हारी धूप

कुनकुनी ऊष्मा उल्लसित छत द्वार सजती हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो।


धीरेन्द्र सिंह

26.12.2023


गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

मुक्ति

 गज़ब है गवैया अजब है खेवैया

समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया


एक देता सुर का अपना ही तान

संगीतज्ञ उलझे सुन यह कैसा ज्ञान

करें साजिंदे मिल ता, ता थैया

समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया


सुर को कतर दें संगीत का ज्ञान

आरोह-अवरोह में मद्धम का मिलान

अनगढ़ सुर ले ढूंढते कुशल गवैया

समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया


कम्प्यूटर में सम्मिलित सुर भंडार है

गुरु ज्ञान बिन सुर में लगे डकार है

सुनना हो सुनो नहीं और बहन-भैया


समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया।


धीरेन्द्र सिंह

21.12.2023

14.10

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

एक कहानी

 महकते-चहकते यूं बन एक कहानी

करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी


किया क्या है जीवन को दे, सदा

अपने ही पूछें किया क्या है, बता

यह गलती नहीं पीढ़ी फर्क कारस्तानी

करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी


सृजन क्या जतन क्या सहन क्या

यह सब जीवन संग है, नया क्या

भावों को कुचल करते प्रश्न तर्कज्ञानी

करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी


धन-संपदा न अभाव, कहता छांव

रुपयों से कब सजा, मन बसा गांव

अपने हो संग महकाए जिंदगानी

करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी


सौभाग्य है जो रहते, अपनों के साथ

बारहवीं मंजिल की वृद्धा, अपने हाथ

एक रात आते बच्चे लुटाने ऋतु सुहानी

करे कोई याद तो बड़ी मेहरबानी।


धीरेन्द्र सिंह


19.12.2023

08.22

चूनर-ओढ़नी

 कोई गौर से पलक चूनर ओढ़ाके

हक अपना जताकर फलक कर दिए

हकबकाहट में दिल समझ ना सका

भाव उनका कहे संग चल दे प्रिए


सांझ चूनर ढली हम भी देखा किए

चुंदरिया सौगात में मिली किसलिए

एक आलोक फैला दी चुनर वहीं

ना चाहते हुए भी हम हंस दिए


कब जगता है रमता है ऐसा प्यार

एक द्वार खोल हलचल कर दिए

उसकी उम्मीद बीच जिंदगी जो पुकारी

पहन चूनर पर ओढ़नी संग चल दिए


आज भी है लहरती चूनर जज्बात में

ओढ़नी से चुपके ढंक चुप कर दिए


कौन जाने किस हालात में वह कहीं

दीप चूनर के हम प्रज्ज्वलित कर दिए।


धीरेन्द्र सिंह

18.12.2023