कहां से कहां ढूंढ लेती है आप
हथेली पर ठुड्डी चेहरे का आब
रचना मेरी पाती प्रशंसा आपकी
दूं यहां धन्यवाद आपको जनाब
यूं लिखती भी हैं प्यारी कविताएं
भावों में तिरोहित लगें प्रीत ऋचाएं
समझ भी कहां पाए जग आफताब
दूं यहां धन्यवाद आपको जनाब
आज लिख रहा हूँ केवल आपको
हूँ मैं वैसा नहीं भाव को ढाँप दो
एक तिनका हूँ लहरें हैं लाजवाब
दूं यहां धन्यवाद आपको जनाब।
धीरेन्द्र सिंह
23.06.2024
11.16
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