रविवार, 23 जून 2024

नौका बाती

 अपनी अठखेलियों का समंदर बनाइए

बिन पाल नौका का भ्रमण फिर कराइए

यह आपकी है कुशलता और विशिष्टता

किनारे खड़ा मन न और भरमाइए


लहरों की चांदनी सा होगा भाव नृत्य

एक-दूजे के होंगे पूरक निज कृत्य

जल कंपन की भावनाओं को समझाइए

किनारे खड़ा मन न और भरमाइए


अस्तित्व के विकास में है व्यक्तित्व गूंज

कामनाएं मेरी रहीं, आपका निजत्व पूज

एक अर्चना है नौका बाती तो सुलगाईए

किनारे खड़ा मन न और भरमाइए।


धीरेन्द्र सिंह

23.06.2024

16.05



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