पनघट पर बालाओं की बदली सी चाल
मटकी भार संतुलन था या कान्हा तान
कटि पर गगरी कांधे मटकी थी सबकी
कंकड़ियां से फूटी मटकी बाला हंस दी
कान्हा दृष्टि चयन से उभरा एक गुमान
मटकी भार संतुलन था या कान्हा तान
लचक-मटक कर गोपियाँ, राह रिझाएं
एक कन्हैया सबका खेवैया, रोज बुझाएं
चंचलता थी शोखी थी और गहन सम्मान
मटकी भार संतुलन था या कान्हा तान
चलचित्र नायिका, विश्व सुंदरी गह गोपियाँ
पनघट बालाओं की लिए चाल युक्तियां
कटि तन लोच, उद्गम स्त्रोत, पनघट ज्ञान
मटकी भार संतुलन था या कान्हा तान।
धीरेन्द्र सिंह
25.06.2024
18.04
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