अब न तुम पर नया गीत लिखूंगा
सिद्धांत के अनुसार न मीत लिखूंगा
तुम एक नई डगर पर चलने लगी
जब भी लिखूंगा सीख प्रीत लिखूंगा
समर्पण नहीं टूटता न झुकता कभी
खामोश हो रहा उनकी जीत लिखूंगा
कृष्ण जन्माष्टमी को कान्हा प्रीत मिली
उनकी इस जीत की प्रतीत लिखूंगा
वो चाहती हैं विलुप्त हो जाऊं पटल से
शटल नई ही कोई गति रीत लिखूंगा।
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