बेचैनियां करा देती हैं एहसासी गबन
ऐ भ्रष्टाचार तू स्पंदन में ढल गया
नादानियाँ प्यार की आभूषण लगे
ऐ शिष्टाचार तू क्रंदन में गल गया
किशोरावस्था का उन्माद ताउम्र रहे
उम्र के ताबेदार, कारवां निकल गया
जीनेवाले, ज़िन्दगी को हर वक़्त सजाएं
साल गिनानेवालों का, मामला टल गया
प्यार को उम्र के चौखटों में वे चपोतें
गोते क्या जाने, जीवन बहल गया
करने लगे भक्ति जिसकी है प्यार शक्ति
परिवर्तित हो प्यार पल में पल गया।
इंसान में भगवान रे मनवा अब पहचान
सम्मान है प्यार जो मचल गया
सब प्यार के पुजारी अंदाज़ है अलग
प्यार, प्यार और प्यार चल गया।
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