शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

दीवानी


 

प्यार श्रृंगार अधर रचकर

खुमार आधार के अनुरागी

किस रूप मिलन दृग का

क्या प्रणय रीत है सहभागी

 

मुस्कान दबी कथा रचित

किस विधि हो जाते संज्ञानी

बिन संबोधन का सम्मोहन

निस अनुभूति प्रीत अनजानी

 

किस बात अधर पर बात रहे

किस राह सबर की चाह ढहे

कह सकने की जिज्ञासा भी 

किस शब्द को साज सांझ गहे

 

मन मोहित एक पुरोहित है

हर भाव सकल तिरोहित है

अब लगे कठिन है यजमानी

पर कब मानी है प्रीत दीवानी।

 

धीरेन्द्र सिंह

03.02.2024

16.50

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