अस्तित्ब में नित अहं का दहन
बौद्धिकता का कैसा यह चलन
सत्य के कथ्य से कटकर दूर
चाटुकारिता करें कहते हुए हुजूर
नई पीढ़ी देख रही लेखकीय गलन
बौद्धिकता का कैसा यह चलन
किसी को छपने की ललक प्रथम
किसी को मंच पर महकने का वहम
प्रयासरत निरंतर कहीं तो जुड़े
लगन
बौद्धिकता का कैसा यह चलन
सोशल मीडिया के हैं असंख्य मित्र
अधिकांश का नाम न पहचानें चित्र
लाइक टिप्पणियों का है यह जतन
बौद्धिकता का कैसा यह चलन।
धीरेन्द्र सिंह
31.02.2024
19.40
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