कर्मठता का रंग लिए मैं खेल रहा हूं होली
सूनी आँखें टीसते दिल की ढूंढ रहा हूँ टोली
रंग, उमंग, भाँग में डूबनेवाले यहाँ बहुत हैं
रंगहीन जो सहम गए हैं बोलूँ उनकी बोली
अपनी खुशियाँ सबमें बांटू जिनका सूना आकाश
दर्द रंग में भींगा सकूं ऐसे हों हमजोली
दर्द-दुखों के संग मैं खेलूँ रंग असर रसदार
सूनी आँखों चहरे पर दे खुशियों की रंगरोली
निकल चला हूँ दर्द ढूँढने सड़कों पर गलियों में
मुझ जैसे और मिलेंगे क्या खूब जमेगी होली.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
दर्द-दुखों के संग मैं खेलूं , रंग असर, रसदार....वाह ! बेहतरीन अंदाज़ !
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंहोली पर लिखी गयी आपकी यह रचना बहुत मार्मिक है आपका आभार
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.. चंद पंक्तियों में बहुत कुछ कह दिया.........
जवाब देंहटाएंरंगपर्व होली पर आपको व आपके परिवार को असीम शुभकामनायें......
सुंदर अहसास लिए होली की सुंदर प्रस्तुति. होली की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंभारतीय ब्लॉग लेखक मंच की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
जवाब देंहटाएंभारतीय ब्लॉग लेखक मंच