शुक्रवार, 18 मार्च 2011

होली की बोली

आपके रंग  लिए उमंग, छेड़े जंग है
आपके विचारों ने, भिंगाया है मन को
आपको सोचता बैठा हूं, गुमसुम सा मैं
खेल रहा होली संग, भूलकर तन को

आपके गुलाल ने, मलाल सारे धो दिए
मेरा भी अबीर, कबीर सा धरे चमन को
दो चमकती ऑखों संग, दो गुलाल भरे हॉथ
अबीर भी अधीर सा, ढूंढे उसी उपवन को

तन की बोली मन की होली, आज हर्षाए
मन है चंचल नाचे पल-पल, नए गमन को
कैसी चूनर, कहॉ वो झूमर, बावरी जुल्फों संग
मैं निहारूं राग-रंग, आपके इस बनठन को

प्यार है, सम्मान है या आप पर है यह गुमान
रंग सारे ले ढंग न्यारे, निहारे आगमन को
एक सोच कल्पना को दे रहा अमराईयां
होली पर बोली है तरसे, श्रृद्धा आचमन को.


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

9 टिप्‍पणियां:

  1. होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. बहुत सुन्दर होली| धन्यवाद्|
    आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  3. बहुत सुंदर मनभावन रचना रची है..... होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. आपके गुलाल ने मलाल सारे धो दिए ..बहुत सुन्दर ...
    होली के सुअवसर पर आप और आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाई

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  5. सरल भाव अच्छे लगे!! होली की शुभकामनायें स्वीकार करें !!

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