सूर्य किरणें कितनी व्याकुल हो दौड़ चलीं
इस धरा पर प्रीत जैसै अब तीरथ हुआ है
भोर की अरूणिमा में पुलकित हुई है चाहतें
आज मन को फिर उन्हीं यादों ने छुआ है
चंदा चुपचाप निरखता रहा रात, हतप्रभ
चांदनी में उठता यह कौन सा धुऑ है
करवटें ना समझ सकीं कसमसाहट का सबब
सितारे ना समझ पाए तो कह गए दुआ है
मन के अन्दर मन हैं और भी कई
चाहतों और आहटों को भी गुमां है
कौन सी आराधना है अनवरत, अविकल
मन की सांखल बन कौन यह गुथां है
प्यार का अधिकार हर दिल की पुकार
दो दिलों के दरमियॉ का यह कहकहा है
एक दिल से दूसरे तक दौड़ रही हैं सदाएं
प्रश्न फिर भी खड़ा कि वह दिल कहॉ है.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
इस धरा पर प्रीत जैसै अब तीरथ हुआ है
भोर की अरूणिमा में पुलकित हुई है चाहतें
आज मन को फिर उन्हीं यादों ने छुआ है
चंदा चुपचाप निरखता रहा रात, हतप्रभ
चांदनी में उठता यह कौन सा धुऑ है
करवटें ना समझ सकीं कसमसाहट का सबब
सितारे ना समझ पाए तो कह गए दुआ है
मन के अन्दर मन हैं और भी कई
चाहतों और आहटों को भी गुमां है
कौन सी आराधना है अनवरत, अविकल
मन की सांखल बन कौन यह गुथां है
प्यार का अधिकार हर दिल की पुकार
दो दिलों के दरमियॉ का यह कहकहा है
एक दिल से दूसरे तक दौड़ रही हैं सदाएं
प्रश्न फिर भी खड़ा कि वह दिल कहॉ है.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
बस वो दिल ही नही मिलता…………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंpyaar her dil ki pukaar, chahat...bahut gahan abhivyakti
जवाब देंहटाएं