गुम हो गया है दिल मौसम भी करे ठिठोली
ऋतुओं की चितवन आई रंगों की लिए डोली
यूं तो हैं रंग सारे पर कुछ ही तुम्हें पुकारे
छूने को तड़प रहा दिल नए रंगों के सहारे
सज रही हैं मन में भावनाओं की कई टोली
फागुन में जिसने चाहा ज़िंदगी उसी की हो ली
होरी जो मैं गाऊं बस तुमको ही वहॉ पाऊं
बालक सा हो हर्षित संग पतंग मैं भी धाऊं
मांजे बहुत हैं लड़ते चले बेधड़क बोला-बोली
ले अपने-अपने रंग सब सजा रहे रंगोली
मेरी चुटकी में है गुलाल कर दो ना इधर गाल
ना-नुकुर नहीं आज, है यह रंगों का धमाल
एक नज़र रंग कर देखूं, लगती हो कितनी भोली
खिल जाओ संग रंग अपने, अब कैसी ऑखमिचौली
ना केवल गुलाल नहीं, रंग से भी भिगाना चाहूं
मुझसे बेहतर ना हो रंगसाज, मैं दीवाना चाहूं
पकड़ कलाई ले ढिठाई, बोलूं रस भरी बोली
लचक तुम्हारी अदाओं संग, भर दे तरंग होली.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
rang liye aayo fagun ... holi ki shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंरस राग भरी होली ...
जवाब देंहटाएंरंगों से भरी रंग रंगीली कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंआपको भी मुबारक हो ये होली...........
चुटकी में है गुलाल , कर दो न इधर गाल ...वाह क्या बात है !.....बड़ी मासूम सी है गुहार ..रंगों कि आई बहार..
जवाब देंहटाएंरंग भरी होली की बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहोली के बहाने छूने की चाल .... बहुत लाजवाब है धीरेन्द्र जी ....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही सुन्दर शब्द ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
जवाब देंहटाएंरंग भरी होली की बहुत सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहोली के रंग ..जीवन में रंग भरें और जीवन सुगमता से चल जाए ...! होली हम सब के जीवन में रंग भरें
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा होली में यूँ शब्दों के रंगों में भीग जाना
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