हृदय स्पंदनों की पर्देदारी
यही सभ्यता यही होशियारी
कामनाओं के प्रस्फुटन निरंतर
अभिव्यक्तियों के सब सिकंदर
गुप्तता में सकल कर्मकारी
यही सभ्यता यही होशियारी
प्रतीकों में हो रही बातें
इ मिलाप के दिन रातें
संबंधों में इमोजी लयकारी
यही सभ्यता यही होशियारी
मौलिकता की खुलेआम चोरी
सात्विकता की दिखावटी तिजोरी
मानवता की विचित्र चित्रकारी
यही सभ्यता यही होशियारी
सबके समूह सबके घाट
सब अलमस्त दिखाए ठाठ
आधुनिकता बनी प्लास्टिक फुलवारी
यही सभ्यता यही होशियारी।
धीरेन्द्र सिंह
29.11.2023
19.03
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