यार तुमको भूल जाऊं कैसी हरकत है
सुना है जिंदगी में इश्क़ भी रहमत है
न हो संवाद शब्द तो भाव भी तो हैं
भावनाओं से जग भी तो सहमत है
तुम कितनी दूर हो मजबूर भी कहीं
सुना है जिंदगी में इश्क़ भी रहमत है
गुरुर अपना बिना किसी आधार के
गर्व पर जो आए वह जहमत है
तुम्हारा घमंड ही तनाव दिया प्रचंड
सुना है जिंदगी में इश्क़ भी रहमत है
मासूम बनकर जिंदगी जीना भी हुनर
मासूमियत पाकीज़गी की बतरस है
भोलेपन से छली या गयी छली कहीं
सुना है जिंदगी में इश्क़ भी रहमत है
यह इश्क़ जिसने चखा गूंगा हो गया
प्रणय प्रगल्भ में भी बेहद कसरत है
जीवन को जी लेने की हसरतें अनेक
सुना है जिंदगी में इश्क़ भी रहमत है।
धीरेन्द्र सिंह
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