शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

दरमियाँ

 आह! प्रणय

ओह! प्रणय

भावनाओं की नर्मियाँ

दो दिलों के दरमियाँ;


मन के गुंथन

चाहत हो सघन

कैसी यह खुदगर्जियाँ

दो दिलों के दरमियाँ


कह रही धड़कनें

बढ़ रही तड़पनें

मिलन की सरगर्मियां

दो दिलों के दरमियाँ


व्यर्थ है प्रतिरोध

सजग है निरोध

सुसज्जित हैं अर्जियां

दो दिलों के दरमियाँ।


धीरेन्द्र सिंह

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