मंगलवार, 15 जून 2021

छल

बहुत अनुराग था 

हां प्यार था 

दिल भी कहता है 

वह यार था;

पर प्रसिद्धि की थी भूखी 

रिश्तों से विराग था 

पर अंदाज उसके 

जिसमें नव पराग था; 

जीवन की प्रत्यांचाएं 

लक्ष्य से अनुराग था 

बहुत पाना चर्चित हो जाना 

यह भी एक शबाब था; 

प्रियतम से अपने कामा 

फिर पूर्णविराम ताब था 

कई लोगों से करती गुफ्तगू 

उसके प्यार का यही आब था।


धीरेन्द्र सिंह









 

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