त्वरित दृग हास्य विस्मित करे
मृगसमान मन विस्तारित पंख लिए
चंचला चपला चतुर्दिक दृश्यावली
अगवानी करें तुम्हारी हम शंख लिए
शुभता शुभ्र संग प्रभाव छांव
ठांव निखर जाए एक उमंग लिए
परिष्कृत निरंतर अबाधित डगर
न दूजा दिख सका यह ढंग लिए
मधुर हुंकार मध्यम टंकार तुम
झंकार की पुकार बहुरंग लिए
अथक संग पुलकित चल चलें
निखार से बंधे उत्तम प्रबंध लिए
गहनतम कि गगन चांद सा
प्रतिबिंबित तारे हुडदंग लिए
मेघ से घटाएं शबनमी सी
निरखि उड़े मन प्रति तरंग लिए।
धीरेन्द्र सिंह
मृगसमान मन विस्तारित पंख लिए
चंचला चपला चतुर्दिक दृश्यावली
अगवानी करें तुम्हारी हम शंख लिए
शुभता शुभ्र संग प्रभाव छांव
ठांव निखर जाए एक उमंग लिए
परिष्कृत निरंतर अबाधित डगर
न दूजा दिख सका यह ढंग लिए
मधुर हुंकार मध्यम टंकार तुम
झंकार की पुकार बहुरंग लिए
अथक संग पुलकित चल चलें
निखार से बंधे उत्तम प्रबंध लिए
गहनतम कि गगन चांद सा
प्रतिबिंबित तारे हुडदंग लिए
मेघ से घटाएं शबनमी सी
निरखि उड़े मन प्रति तरंग लिए।
धीरेन्द्र सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें