गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

आपके नयन


आपके नयनों की क्यारी में
चमक रहे हैं जुगनू एकसे सारे
मेरे लबों ने जो चाहा पकड़ना
जुबान पर चढ़ गए खारे-खारे

नयन में मेघ सी पुतलियाँ उडें
बीच में चंचल मेघ कारे-कारे
पलकें फड़फड़ाए ले बेचैनियाँ
जुगनुओं में अक्स वही प्यारे-प्यारे

दरक पड़ने को है नक्काशियां कजरारी
चटक जाने को है आसमान सकारे
उफन ना जाये कहीं अब गंगा
मांझी-मांझी लगे कोई पुकारे

नयन की बात नयन ही जाने
जीवन से जुड़े हैं कई किनारे
कोशिशें भी होती हैं नाकाम अक्सर
हार जाते ना मिल पाते किनारे.
     


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता, 
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

8 टिप्‍पणियां:

  1. आंसुओं के लिए जुगनू का बिम्ब अच्छा लगा ..खूबसूरत रचना

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  2. आंसुओं के लिए जुगनू का बिम्ब अच्छा लगा ...खूबसूरत रचना

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  3. कमाल का वर्णन ..सुंदर सटीक पंक्तियाँ है ....आपका आभार

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  4. जुगुनू का बिम्ब लिए सुन्दर रचना , बधाई

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  5. कोशिशें नाकाम हों तो नयन में आँसू आना स्वाभाविक है। बिंब विधान अच्छा लगा।

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