गुरुवार, 21 अगस्त 2025
सलवटें
मंगलवार, 19 अगस्त 2025
मुम्बई वर्षा
मुम्बई में
हो रही चार दिनों से
लगातार बरसात
और मीडिया बोल रहा
मुम्बई जल से परेशान,
मीडिया यह नहीं
बता रहा है कि
कुलाबा से महालक्ष्मी मंदिर
बरसात से अप्रभावित है
क्योंकि रहते हैं
इन्हीं क्षेत्र में
अति प्रतिभाशाली,
बॉलीवुड प्रतिभा नहीं
मात्र अभिनय कौशल है,
करोड़ों के फ्लैट
मुंबई की आम बात है,
नहीं करता मीडिया
नवी मुंबई की बात
जहां भीषण वर्षा में भी
जलरहित सड़कें हैं,
एक अपूर्ण जानकारी
कर रहा प्रदान मीडिया,
जिसकी विवशता है
टीआरपी
अति प्रतिभाशाली
और नवी मुंबई भी
सुरक्षित है
पीं पीं।
धीरेन्द्र सिंह
19.08.2025
2क.25
सोमवार, 18 अगस्त 2025
बरसात
बहत्तर घंटे से लगातार बरसात
भोर नींद खुली भय के हालात
लग रहा बादल फटा क्रोध जता
बारिश की गर्जना मौन रतजगा
भोर पांच तीस पर दूध का साथ
भोर नींद खुली भय के हालात
विद्यालय, महाविद्यालय बंद आज
जीवन मुम्बई का करे दो-दो हाँथ
मंथर पर जीवन घोर वर्षा का आघात
भोर नींद खुली भय के हालात
लोकल बंद होगी सड़क बन तालाब
दैनिक मजदूर दुखी सब लाजवाब
वर्षों बाद मुम्बई में है वर्षा उत्पात
भोर नींद खुली भय के हालात।
धीरेन्द्र सिंह
19.08.2025
05.57
रविवार, 17 अगस्त 2025
प्रिए
तुम कहाँ हो लिए व्यथित हृदय
कौन है अब धड़कन बना प्रिए
तृषित अधर नमक चखें समर्थित
बतलाओगी संख्या कितनी व्यथित
अनुराग विस्फोटन को लिए दिए
कौन है अब धड़कन बना प्रिए
वर्ष कई बीत गए हुए हम विलग
न जाने कौन सी जलाई अलख
ईश्वर से प्रार्थना सुखी वह जिएं
कौन है अब धड़कन बना प्रिए
आधार प्यार का मन संचेतना है
प्रमुख मिटाता वह अन्य वेदना है
प्रणय कुछ नहीं कैसे उल्लासपूर्ण जिए
कौन है अब धड़कन बना प्रिए।
धीरेन्द्र सिंह
17.08.2025
22.43
गज़ब
सुनो में एक हद हूँ
और तुम बेहद
बात इसमें यह भी
मैं बेअदब हूँ
और तुम संग अदब,
है न गज़ब!
हम में विरोधाभास
पर मैं हताश
और तुम आकाश
बात इसमें यह भी
मैं प्रणयवादी हूँ
और तुम व्यवहारवादी
है न गज़ब!
हम में भी यह विकास
तुम दूसरे राज्य
मुझे लगो तुम साम्राज्य
बात इसमें यह भी
मैं लौ दीपक
पर तुम प्रकाश
है न गज़ब!
हम स्पष्ट विरोधाभास
मूल हित संस्कार तोड़ता बेड़ियां
तुम प्रगतिशील भूल पीढियां
बात इसमें यह भी
मैं मात्र आस
और तुम मधुमास
है न गज़ब।
धीरेन्द्र सिंह
17.08.2025
21.06
रिश्ते
कुछ रिश्ते इतने रम जाते हैं
कि न जाने कब मर जाते हैं
झटके दर झटके भी है अदा
रिश्ता है तो नोक-झोंक बदा
कब अपने रिश्ते में भर जाते हैं
कि न जाने कब मर जाते हैं
झटके से जो मरता रिश्ता नहीं
खट से मार डालें सिसकता नहीं
रह-रहकर तेज धार दिखलाते हैं
कि न जाने कब मर जाते हैं
कई मर चुके उसकी गिनती कहां
जो अब मर रहे उनमें विनती कहां
भाव इस विलगाव पर झुंझलाते हैं
कि न जाने कब मर जाते हैं।
धीरेन्द्र सिंह
17.08.2025
19.55
शुक्रवार, 15 अगस्त 2025
गोविंद
कनखियों से गोपी भाव धमाल है
माखन चोरी में अब कहाँ ताल है
दही-हांडी महाराष्ट्र का एक स्वरूप
धनवर्षा मुंबई में कृष्णोत्सव ढाल है
गोविंदा की निकलती हैं कई टोलियां
एकदूजे के कांधे पर चढ़ना कमाल है
शारीरिक सौष्ठव संतुलन का उत्सव
"गोविंदा आला रे" संगीत ताल है
अब तो युवतियों की भी गोविंदा टोली
बहुत ऊंचाई तक जाना खयाल है
गोपियाँ भी कान्हा की तरह माखनचोर
मुम्बई में कृष्ण जन्माष्टमी द्रुतताल है।
धीरेन्द्र सिंह
16.08.2025
07.14