गुरुवार, 16 मई 2024

मन

 

मन जब करता मन से बातें


चूर-चूर हों दूर सब रिश्ते-नाते

 

हृदय डोर ही परिणय का छोर

सामाजिक बंधन परिवार अंजोर

समाज में सही सामाजिक बातें

चूर-चूर हों दूर सब रिश्ते-नाते

 

आदिकाल से यह मन चंचल

मन चाहे कोई मनचाहा संबल

मन रम जाए सुधि रचि गाते

चूर-चूर हों दूर सब रिश्ते-नाते

 

मानव इतिहास में हृदय नर्तन

जैसा तब था अब भी संवर्धन

प्यार कभी बदला कहां यह बातें

चूर-चूर हों दूर सब रिश्ते-नाते।

 

धीरेन्द्र सिंह

16.05.2024

18.19

बुधवार, 15 मई 2024

धुन

 

मेरी तन्हाइयों में यूं जो गुनगुनाओगी

द्वार हृदय अपने खुद उलझ जाओगी

 

सूर्य की किरणों सा पहुंच जाता हूँ

तपिश सा राग में घुल जाता हूँ

रागिनी चुन-चुन हो मगन सुनाओगी

द्वार हृदय अपने खुद उलझ जाओगी



कृषक की आस बन मेघ सा निहारूँ

तृषित नयनों से जलसृष्टि पुकारूं

मेघराग में आच्छादित छा जाओगी

हृदय द्वार अपने खुद उलझ जाओगी

 

संभलना भावनाओं की पुकारती डगर

खंगालना शब्दों की भोली सी नज़र

कहां क्या दांव ठाँव तुम समझ पाओगी

हृदय द्वार अपने खुद उलझ जाओगी

 

गीतों में ढली तुम हो एक श्रेष्ठ काव्य

प्रतीकों में अंतस रागिनियों का निभाव

मैं धुन हूँ बिना जिसके क्या गा पाओगी

हृदय द्वार अपने खुद उलझ जाओगी।

 

धीरेन्द्र सिंह

15.05.2024

22.34

मंगलवार, 14 मई 2024

शोषण

 वाह

आह

ऊँह

नाह


चाह

आह

दाह

बाहं


राह

छाहँ

लांघ

माह


डाह

स्वाह

आह

थाह।


धीरेन्द्र सिंह

14.05.2024

21.12


सोमवार, 13 मई 2024

खुमारी या विरह नाद


 

समर्पित प्रेम में होता यह विषय विवाद

मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह नाद

 

अंतस हिलोर मारे अभिलाषाओं की शुमारी

गहन तरंग उठे असीम चेतना की खुमारी

प्रणय पुष्प सा फले, फूले, महके निर्विवाद

मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह नाद

 

एक ही धूरी पर प्रणय की अनंत शाखाएं

कुछ मीरा कहें कुछ संग राधा गुनगुनाएं

क्या प्रेम मात्र एक छात्र एक पाठ संवाद

मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह नाद

 

किस तरफ शौर्य का गुंजित है अभिमान

बिना साहस प्रेम का हो सके ना ज्ञान

कान्हा की बांसुरी तो सुदर्शन चक्र निनाद

मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह नाद।

 

धीरेन्द्र सिंह

13.05.2024

16.39

रविवार, 12 मई 2024

प्यार आजन्म

 

प्यार आजन्म, बस एक मधुर गुंजन है

बहुत कम लोगों का, इससे समंजन है


एक छुवन, एक कंपन, एक जुगलबंदी

प्यार की हदबंदी का क्या यही अंजन है

मां, बहन, भ्राता आदि लगें औपचारिकताएं

प्रेमी-प्रेमिका भाव नित्य का अभिनंदन है


हंसी-मजाक में देते निमंत्रण तपाक से

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या कि क्रंदन है

वासना मुखरित हो रही विभिन्न रूप में

क्या प्यार की अनुभूतियों का भंजन है


लग रहा देख सोशल मीडिया का लेखन

प्यार भ्रमित, दूषित का, बढ़ रहा निबंधन है

प्यार पोषित, सिंचित, पल्लवित, पुष्पित

झटपट, चटपट का बढ़ रहा जगवंदन है


मन को छुए बिना तन की ओर धाएं

संवाद साधनों में यह रुचिकर व्यंजन है

प्यार उपेक्षित शालीन सा पड़ा है कहीं

ललक छलक ढलक जैसे कि मंजन है।


धीरेन्द्र सिंह

12.05.2024

17.39


गुरुवार, 9 मई 2024

स्वेद क्रांति

 


पसीने के बूंदों संग भाल जगमगाता है

आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है

 

अपने भीतर ही उपजता है अपना प्यार

हृदय के कोने में छुपा रहता है वह यार

कितना भी व्यस्त रहें बूंद झिलमिलाता है

आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है

 

स्वेद की बूंद की अपनी विशिष्ट महत्ता

श्रमिक के सिवा क्या पसीना बिन इयत्ता

तेज हो सांस तो स्वेद संतुलन बनाता है

आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है

 

स्वस्थ साफ देह स्वेद इत्र भी शरमाए

कोई पहना वस्त्र नासिका की भरमाए

स्वेद क्रांति पर पाठ कहां कौन पढ़ाता है

आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है

 

पसीने से होती है जग में नई क्रांतियां

पसीना में भी श्रृंगार की बसी भ्रांतियां

पसीने से जुड़ता वह पूर्ण जुड़ जाता है

आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है।

 

धीरेन्द्र सिंह

11.05.2024

12.08

सोच बेजार है

 मशवरा न कीजिए तर्क का बाजार है

कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है



अपने-अपने अनुभवों से है जनित ज्ञान

हर अनुभव का अपना ही निजी मकान

आत्मस्वर ही श्रेष्ठ जुड़ा स्वतः बेतार है

कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है


सत्य परम सत्य उसमें भी न एकरूपता

तथ्य प्रखर तथ्य न्यायालय में है नोचता

परिवेशजनित कथ्य अवधि बाद बेकार है

कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है


इसका स्वार्थ उसका स्वार्थ निज परमार्थ

किसका कर्म किसका भाग्य स्वयं चरितार्थ

एक चिन्तनपूर्ण छल मूल लयकार है

कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है


ना जी ना इसमें नहीं है नकारात्मकता

आदर्श की पुस्तकों सी अब कहाँ आत्मा

एक जीवन मिश्रित अभिनय से जार है

कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है।


धीरेन्द्र सिंह

09.95.2024

19.08