सोमवार, 14 नवंबर 2022

दुआ

 एक मोटी परत धूल

छंट रही बादलों सी

मन लगा स्वतंत्र हुआ

ना जाने लगी किसकी दुआ


एक कोमल पाश रचनात्मक

पल प्रति पल सृजनात्मक

लेखनीय अर्चना को छुवा

कौन था वह हमनवां


चुन लिया पथ अलग

धूनी नई जगा अलख

कौन किससे अलग हुआ

विश्वास एक गरल हुआ


लग रहा था कैद

पर था दिल मुस्तैद

भूमिका प्रदर्शन मालपुआ

भ्रमित होकर बुर्जुआ।


धीरेन्द्र सिंह


रविवार, 13 नवंबर 2022

चलन

 देह दलन

कैसा चलन


व्यक्ति श्रेष्ठ

आवश्यकता ज्येष्ठ

विवशता लगन

कैसा चलन


प्रदर्शन परिपुष्ट

प्रज्ञा सुप्त

वर्चस्वता सघन

कैसा चलन


शौर्य समाप्त

चाटुकारिता व्याप्त

अवसरवादिता मनन

कैसा चलन


देह परिपूर्णता

स्नेह धूर्तता

प्यार गबन

कैसा चलन।


धीरेन्द्र सिंह


यादें

तिरस्कृत प्यार

जानबूझकर हो

या हो अनजाने में,

यादें उठती

भाप सरीखी उड़ती

घर हो या मयखाने में;


सुंदर हो बाहुपाश

हो समर्पित विश्वास

यादें मिले तराने में,

कौन बहेलिया 

बहलाए सांस

बदले निजी जमाने में;


अनुगामी यादें

टूटे ना वह नाते

त्यजन गरमाने में,

वशीकरण वशीभूत

भावनाओं का द्युत

जीवन को भरमाने में;


दूरी कैसी

लिप्सा मजबूरी जैसी

चाहतें हर जाने में,

जानेवाले जाएं कहां

यादों से रहे नहा

युग्मित गुसलखाने में।


धीरेन्द्र सिंह


बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

अमौ हाजी

 अमौ हाजी

ज़िंदगी से बाजी

सत्तर वर्ष न नहाया

फिर भी मारी बाजी


अमौ हाजी


कैसे जिया कैसे पिया

लोग न थे राजी

रहा भय से लिपटा

फिर भी मारी बाजी


अमौ हाजी


अंग्रेजी का कठिन शब्द

अब्लूफोटोबिया हिंदी निःशब्द

हिंदी शब्द खाए कलाबाजी

फिर भी मारी बाजी


अमौ हाजी


हिंदी में तुमको लिखा

विज्ञान को गए सिखा

समझ न पाया धुनबाजी

फिर भी मारी बाजी।


धीरेन्द्र सिंह

(अमौ हाजी विश्व का सबसे गंदा व्यक्ति जो 70 वर्ष तक नहीं नहाया क्योंकि वह नहाने से डरता था। काफी दबाव पर जब वह नहाया तो बीमार पड़ गया और 92 वर्ष में मर गया)

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022

विकल्प

 विकल्प


विकल्प होना

संभव है संकल्प में

संकल्प होना

संभव कहां अल्प में,

स्थिर मन होता है संकल्पित

या विकल्पित

अपने संस्कार अनुसार

मन का खोले द्वार,

विकल्प तलाशता है

बुनता ताना-बाना

परिचित से हो अपरिचित

अनजाने को कहे पहचाना,

संकल्प और विकल्प

जीवन के दो धार

संकल्प से हो उन्नयन

विकल्प ध्वनि बस "यार"।


धीरेन्द्र सिंह


चखे फल

 कौओं, कबूतरों, गिद्धों के

चखे फल को

अर्चना में सम्मिलित करना

एक आक्रमण का

होता है समर्थन,

श्रद्धा चाहती है

पूर्णता संग निर्मलता,

चोंच धंसे फल

सिर्फ जूठे ही नहीं होते

बल्कि

किए होते हैं संग्रहित

चोंच के प्रहारों की अनुभूति

समेटे मन के डैने में,

आस्थाएं

नहीं टिकती

जूठन व्यवहार पर

क्या करे पुजारी

मंदिर के द्वार पर।


धीरेन्द्र सिंह


सोमवार, 17 अक्टूबर 2022

"मेरा ही बनाया हवन कुंड'


हवन कुंड जलाकर

उसका रचयिता

प्रत्येक आहुति में

किए जा रहा है

अर्पित अपने गुनाह

अर्जित करता शक्ति

ईश्वर से


हवन कुंड का रचयिता

हो सम्माननीय

हमेशा आवश्यक नहीं,

धर्म की आड़ में

शिकार की ताड़

और नए शिकार से प्यार

भीतर से,


हवन कुंड का रचयिता

करता है ब्लॉक

जब पाता है नया शिकार

एक चाहत की प्यास

कहता है 

"मेरा ही बनाया हवन कुंड'

आहुति दे


भोलापन और मासूमियत

भीतर बदनीयत

स्वार्थ की हुंकार

प्यासे तन-मन की झंकार

एक पकड़े दूजा छोड़े

नातों से नव नाता जोड़े

आदमी दे।


धीरेन्द्र सिंह