बस एक थोड़ा सा मन है
शेष तो सब यहाँ गबन है
थोड़ा वक्त थोड़ा प्यार है
थोड़ी ज़मीं थोड़ा चमन है
अख्तियार पूरा करने की ज़िद
पूरा खुद कहां, कहां मन है
थोड़ा जो उनसे मिल पा जाऊं
ज़िन्दगी का वही आचमन है
हैं बहुत दूर प्रीत का लिए गुरुर
जरूर मिलते रोज, दीवानापन है
एक दूसरे के हाल पर रखे नज़र
जी कुछ नहीं बस, अपनापन है
न जाने कैसे मिले और प्यार हुआ
न एक दिन मिले तो सब अनमन है
अपने अपने परिवार के दायित्व लिए
प्यार ही है ना समझें कि पागलपन है।