सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

आहत

आहत होने के लिए
कोई व्यक्ति
नहीं चाहिए
प्रायः व्यक्ति
होता है आहत
स्वयं से,
कैसे?

संवेदनाओं के संस्कार
परंपराओं के द्वार
बना लेती हैं
अपना कार्ड आधार
संस्कारों का
शिक्षा का, दीक्षा का
और लगती हैं देखने
दृष्टि समाज को
अपने 
संस्कार आधार कार्ड से,

दूसरे का दर्द,
परिस्थिति
न समझ पाना
और हो जाना
नाराज
कुपित
दुखी
होकर आहत,
कभी सोचा
सामने व्यक्ति को
मिली क्या राहत ?
अपनी ही सोचना,
है न!

धीरेन्द्र सिंह
14.10.2025
11.36


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