एक सदाचार धारक व्यक्ति
अतिभ्रष्ट देश में जन्म ले
वह क्या कर पाएगा
तिनके सा बह जाएगा,
आश्चर्य
काव्य में उभरा
राजनीतिक नारा,
सभ्यता सूख रही
राजनीति ही धारा ;
हिंदी साहित्य भी
क्या राजनीति वादी है
सदाचार गौण लगे
राजनीति हावी है ;
कौन कहे, कौन सुने
अपनी पहचान धुने
समूह राजनीति भरे
मंच भी अभिमान गुने,
करे परिवर्तन
राजनीति करे मर्दन,
हिंदी उदासी है
नई भाषा प्रत्याशी है ;
देवनागरी लेखन की अंतिम पीढ़ी
अदूरदर्शी चिल्लाते हिंदी संवादी
भारतीय संविधान पढ़ लें तो
ज्ञात हो है हिंदी विवादित।
धीरेन्द्र सिंह
10.10.2025
19.19
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