शब्दों की गुहार है उत्सवी खुमार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शहर, महानगर व्यस्त हैं आयोजन में
अर्धशहरी, ग्रामीण मस्त अनजानेपन में
जो शिक्षित उनका ही दिवस रंगदार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शिक्षा प्राप्त नहीं लगी घर के कामकाज में
नारी अधिकार का ज्ञान नहीं सीमित राज में
चौका, चूल्हा, बर्तन, भांडा जीवन अभिसार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शिक्षित नारी रचती फुलवारी एक आंदोलन में
फेसबुकिया उन्माद चले नव रचना बोवन में
ऐसे आंदोलन, लेखन का गावों को दरकार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
नारी को नारी सिखलाये लाज,शर्म के आंगन में
नारी का सुखमय जीवन सास, ससुर, पिय छाजन में
बचपन से नारी व्यक्तित्व में परंपराएं लाचार हैं
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शिक्षा ही ब्रह्मास्त्र है जीवन के इस जनमन में
शिक्षित नारी सुदृढ स्थापित भुवन, चमन में
नारी ही परिजन का प्रतिबद्ध पतवार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है।
धीरेन्द्र सिंह
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शहर, महानगर व्यस्त हैं आयोजन में
अर्धशहरी, ग्रामीण मस्त अनजानेपन में
जो शिक्षित उनका ही दिवस रंगदार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शिक्षा प्राप्त नहीं लगी घर के कामकाज में
नारी अधिकार का ज्ञान नहीं सीमित राज में
चौका, चूल्हा, बर्तन, भांडा जीवन अभिसार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शिक्षित नारी रचती फुलवारी एक आंदोलन में
फेसबुकिया उन्माद चले नव रचना बोवन में
ऐसे आंदोलन, लेखन का गावों को दरकार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
नारी को नारी सिखलाये लाज,शर्म के आंगन में
नारी का सुखमय जीवन सास, ससुर, पिय छाजन में
बचपन से नारी व्यक्तित्व में परंपराएं लाचार हैं
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है
शिक्षा ही ब्रह्मास्त्र है जीवन के इस जनमन में
शिक्षित नारी सुदृढ स्थापित भुवन, चमन में
नारी ही परिजन का प्रतिबद्ध पतवार है
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है।
धीरेन्द्र सिंह
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