शनिवार, 23 अगस्त 2025

आध्यात्मिक

अस्वाभिक परिवेश में बुलाया ना करो

आध्यात्मिक हो यह दिखावा ना करो


माना कि स्वयं को हो करते अभिव्यक्त

पर यह तो मानो हर आत्मा यहां है भक्त

धर्म के भाव छांव संग गहराया ना करो

आध्यात्मिक हो यह दिखावा ना करो


आसक्त है मन तुमसे जहां गहरी वादियां

उन्मुक्त तपन में सघन विचरती किलकरियाँ

अनुगूंज अपने मन का छुपाया ना करो

आध्यात्मिक हो यह दिखावा ना करो


यह तन सर्वप्रथम है आराधना का स्थल

तन जीर्ण-शीर्ण ना हो करें प्रयास प्रतिपल

आसक्ति-भक्ति-मुक्ति जतलाया ना करो

आध्यात्मिक हो यह दिखावा ना करो


चिकने चेहरे निर्मल मुस्कान लिए प्रेमगान

उल्लसित उन्मुक्त प्यार ही में किए ध्यान

यही आध्यात्मिक यह झुठलाया ना करो

आध्यात्मिक हो यह दिखावा ना करो।


धीरेन्द्र सिंह

24.08.2025

08.42

मर्द

 सबकी अपनी सीमाएं सबके अपने दर्द

अपनी श्रेष्ठता निर्मित करना क्या है मर्द


आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक परिवेश

इन तीनों से होता निर्मित मानव का भेष

पार्श्वभूमि समझे बिना निकालते हैं अर्थ७

अपनी श्रेष्ठता निर्मित करना क्या है मर्द


हर व्यक्ति चाणक्य है संचित अनुभव ज्ञान०

एक स्थिति में कोई शांत कोई लिए म्यान

आक्रामकता पौरुषता सौम्यता क्या सर्द

अपनी श्रेष्ठता निर्मित करना क्या है मर्द


व्यक्ति परखना पुस्तक की समीक्षा जैसे

बाहर से जो दिख रहा क्या भीतर वैसे

क्षद्म रूप के चलन में रूप आडंबर तर्क

अपनी श्रेष्ठता निर्मित करना क्या है मर्द।


धीरेन्द्र सिंह

23.08.2025

16.14

गुरुवार, 21 अगस्त 2025

छनाछन

 भूल जाइए तन मात्र रहे जागृत मन

प्रतिध्वनि तब उभरेगी छन छनाछन


काया की माया में है धूप कहीं छाया

मन से जो जीता वह जग जीत पाया

आत्मचेतना है सुरभित सुंदर अभिगम

प्रतिध्वनि तब उभरेगी छन छनाछन


युक्तियों से रिक्तियों को कौन भरपाया

आसक्तियों की भित्ति पर चित्रित मोहमाया

थम जाएं वहीं जहां अटके मुक्त मन

प्रतिध्वनि तब उभरेगी छन छनाछन


पट्टे में बंधे श्वान से लेकर हैं चलते मन

बँध जाना जीवन में न कहे धरती गगन

खोलकर यह बंधन अपने में हों मगन

प्रतिध्वनि तब उभरेगी छन छनाछन।


धीरेन्द्र सिंह

22.08.2025

07.48




सलवटें

सलवटें नहीं होती
सिर्फ बिछी चादर में
व्यक्तित्व भी होता है भरा
असंख्य सलवटों से
कुछ चीन्हे कुछ अनचीन्हे,

नित हटाई जाती है
सलवटें चादर की
पर नही हटाता कोई
व्यक्तित्व की सलवटें
प्रयास जाते हैं थक,

कैसे बना जाए
विराटमना
निर्मलमना,
घेरे जग का कोहरा घना,
आओ छू लो
मन मेरा, मैं तेरा
बन चितेरा,

ना
प्यार नहीं आशय
प्यार तो है हल्का भाव
भाव है आत्म मिलन,
सलवटें प्यार से 
मिटती नहीं,
आत्मा जब आत्मा से
मिलती है
चादर व्यक्तित्व की
खिंचती है
तो हो जाता है
आत्मबोध,

आओ मिलकर
व्यक्तित्व चादर का
खिंचाव करें
संयुक्त खिलकर
सलवट रहित व्यक्तित्व का
निभाव करें।

धीरेन्द्र सिंह
21.08.2025
13.56



मंगलवार, 19 अगस्त 2025

मुम्बई वर्षा

 मुम्बई में 

हो रही चार दिनों से

लगातार बरसात

और मीडिया बोल रहा

मुम्बई जल से परेशान,

मीडिया यह नहीं

बता रहा है कि

कुलाबा से महालक्ष्मी मंदिर

बरसात से अप्रभावित है

क्योंकि रहते हैं 

इन्हीं क्षेत्र में 

अति प्रतिभाशाली,

बॉलीवुड प्रतिभा नहीं

मात्र अभिनय कौशल है,

करोड़ों के फ्लैट

मुंबई की आम बात है,


नहीं करता मीडिया

नवी मुंबई की बात

जहां भीषण वर्षा में भी

जलरहित सड़कें हैं,

एक अपूर्ण जानकारी

कर रहा प्रदान मीडिया,

जिसकी विवशता है

टीआरपी

अति प्रतिभाशाली

और नवी मुंबई भी

सुरक्षित है

पीं पीं।


धीरेन्द्र सिंह

19.08.2025

2क.25 

सोमवार, 18 अगस्त 2025

बरसात

 बहत्तर घंटे से लगातार बरसात

भोर नींद खुली भय के हालात


लग रहा बादल फटा क्रोध जता

बारिश की गर्जना मौन रतजगा

भोर पांच तीस पर दूध का साथ

भोर नींद खुली भय के हालात


विद्यालय, महाविद्यालय बंद आज

जीवन मुम्बई का करे दो-दो हाँथ

मंथर पर जीवन घोर वर्षा का आघात

भोर नींद खुली भय के हालात


लोकल बंद होगी सड़क बन तालाब

दैनिक मजदूर दुखी सब लाजवाब

वर्षों बाद मुम्बई में है वर्षा उत्पात

भोर नींद खुली भय के हालात।


धीरेन्द्र सिंह

19.08.2025

05.57

रविवार, 17 अगस्त 2025

प्रिए

 तुम कहाँ हो लिए व्यथित हृदय

कौन है अब धड़कन बना प्रिए


तृषित अधर नमक चखें समर्थित

बतलाओगी संख्या कितनी व्यथित

अनुराग विस्फोटन को लिए दिए

कौन है अब धड़कन बना प्रिए


वर्ष कई बीत गए हुए हम विलग

न जाने कौन सी जलाई अलख

ईश्वर से प्रार्थना सुखी वह जिएं

कौन है अब धड़कन बना प्रिए


आधार प्यार का मन संचेतना है

प्रमुख मिटाता वह अन्य वेदना है

प्रणय कुछ नहीं कैसे उल्लासपूर्ण जिए

कौन है अब धड़कन बना प्रिए।


धीरेन्द्र सिंह

17.08.2025

22.43