आज प्रारंभ है अर्चनाओं का आलम्ब है
शारदेय नवरात्रि यूं मातृशक्ति का दम्भ है
अपनी-अपनी हैं विभिन्न रचित भूमिकाएं
श्रद्धा लिपट माँ चरणों में आस्था को निभाए
नव रात्रि नव रूप माता का निबंध है
शारदेय नवरात्रि यूं मातृशक्ति का दम्भ है
सनातन धर्म जीवन मार्ग सज्जित बतलाएं
नारी का अपमान हो तो कुपित हो लजाएं
नवरात्रि नव दुर्गा आदि शक्ति ही अनुबंध हैं
शारदेय नवरात्रि यूं मातृशक्ति का दम्भ है
माँ का आक्रामक रूप राक्षस संहार के लिए
मनुष्यता में दानवता भला जिएं किसलिए
नारी ही चेतना नारी शक्ति भक्ति आलम्ब है
शारदेय नवरात्रि यूं मातृशक्ति का दम्भ है।
धीरेन्द्र सिंह
22.09.2025
07.54
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