मुस्कराती धुली सुबह
शीतलता संग बह
बालकनी को दुलारे
शालीनता में मह
धो लिए पाप सारे
व्यक्तिगत हालात सह
एक ताज़गी समेटे
बारिशों के सह
पर्वत,मकान, रिक्त धरा
पूर्ण संभावना तह
ऊबड़खाबड़ कहीं भव्यता
जीवन जाता कह
सुबह का दर्शन
दर्शाएं राहें कह
उच्चता दर्शा मानव
मेघ बाहें गह।
धीरेन्द्र सिंह
28.06.2023
09.19
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