गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

सत्य या क्षद्म

 हे कौन हो तुम

क्यों आ जाती हो

मौन सी गुमसुम

मौनता आ सुनाती हो


हे मौन हो तुम

डूबती बुलबुलाती हो

निपट सन्नाटा डराए

भाव चुलबुलाती हो


हे बुलबुला हो तुम

सतह ठहर टूटती हो

सागर सी गहरी हुंकार

पुनर्नवीनीकरण ढूंढती हो


हे पुनर्नवीकरण हो तुम

नया तलाशती हो

सत्य हो या क्षद्म कहो

क्यों रिश्ते बहलाती हो।


धीरेन्द्र सिंह

08.04.2022

00.12

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