और बोलो ना उदास दिल
है बहुत
तुमको सुनने की तमन्ना
उभर आई है
खुद से भाग कर तुम
तक जाऊँ
फिर लगे रोशनी नस-नस
में भर आई है
तुम ही हिम्मत हो, दृढ़ इरादे की डोर
भोर की पहली किरण जैसे पुरवाई है
तुम जब बोलती हो लगे गले ऊर्जा
तुमसे ही मांगती यह
भोर अरुणाई है
कोमल, कंचनी काया में लचक खूब
हर आघात सह ले, अनगिनत बधाई है
आसमान से भी विशाल आँचल तले
ज़िंदगी हमेशा मंज़िल अपनी पायी है
मैं तुम्हें प्यार कहूँ या जीवनाधार
दे दिया अधिकार क्या खूब कमाई है
पौरुषता पर निरंतर कृपा अपार
नारी नमन तुम्हें गज़ब की अंगनाई है।
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
मैं तुम्हें प्यार कहूँ या जीवनधार .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेम भरा है नज़्म में .....
और बोलो न मन है उदास
जवाब देंहटाएंतुमको सुनने कि तमन्ना हो उभर आई है
खुद से भाग कर तुम तक जाऊँ
फिर लगे रोशनी नस-नस में भर आई है
भई वाह बहुत खूब नज़म लिखी है आपने .... शुभकामनायें
समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
नारी मर्म को समझाती सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंbahut shraddha se bhawnaaon ko likha hai
जवाब देंहटाएंsundar rachna
जवाब देंहटाएंनारी के प्रति बहुत श्रद्धा और प्रेम है इन पक्तियों में... बहुत सुन्दर रचना...आपके इन शब्दों को नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंलाजबाव..
जवाब देंहटाएंनारी नमन तुम्हे गज़ब की अंगनाई है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वर्णन