चलत फिरत चौपाल चहुबन्दी
कहते सबकी जुबान है हिंदी
समरसता युग्म एकता रचाए
रश्मियों की मुग्धजाल है हिंदी
सब जानें बातों की ही हिंदी
भाषाजगत में भी चकबंदी
भाषा कामकाजी विरक्त है
दिग दिगंत जैसे शिव नंदी
कभी लगे भरमाती हिंदी
लिखित प्रयोग न पाती हिंदी
ढोल नगाड़े पर जो थिरके
ऐसी ही हिंदी हदबंदी
सुने प्रयोजनमूलक हिंदी नहीं
हस्ताक्षर को भी न भाए हिंदी
लिखित घोषणाएं हुईं बहुत
फाइल साज बजे पाखंडी।
धीरेन्द्र सिंह
कहते सबकी जुबान है हिंदी
समरसता युग्म एकता रचाए
रश्मियों की मुग्धजाल है हिंदी
सब जानें बातों की ही हिंदी
भाषाजगत में भी चकबंदी
भाषा कामकाजी विरक्त है
दिग दिगंत जैसे शिव नंदी
कभी लगे भरमाती हिंदी
लिखित प्रयोग न पाती हिंदी
ढोल नगाड़े पर जो थिरके
ऐसी ही हिंदी हदबंदी
सुने प्रयोजनमूलक हिंदी नहीं
हस्ताक्षर को भी न भाए हिंदी
लिखित घोषणाएं हुईं बहुत
फाइल साज बजे पाखंडी।
धीरेन्द्र सिंह