बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

ऐसी ना आप करो ठिठोली
अबकी बहकी होली में
भींग चुकी हो रंग-रंग अब
भावों की हर टोली में

कोरी चूनर की मर्यादा
पुलकित रहे हर टोली में
बहकी चाल बनाओ अबकी
पिय बहियन रंगोली में

फागन तो खोले हर आंगन
छाजन अंगों की बोली में
आत्मगुंथन भावुक बंधन
महके चंदन इस होली में

साजन निरख रहे दृग चार
मृग कुलांच किल्लोली में
शर्म से लाल म लाल हुई जो
होली रंग गई होली में।

धीरेन्द्र सिंह

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