आप कहें शब्द या प्रारब्ध हैं
मत कहें कि आप आबद्ध हैं
एक धूरी का मैं भी तो समर्थक हूँ
पर विभिन्नता भाव का प्रवर्तक हूँ
हृदय का हृदय से अनजाना सम्बद्ध है
मन कहे कि आप आबद्ध हैं
आप तो स्वीकारती ना ही दुत्कारती
आप हृदय वाले को प्रायः संवारती
मेरे हृदय में आपकी चाहत निबद्ध है
मन कहे कि आप निबद्ध हैं
सहज संयत आपका अद्भत संयम
मेरी पूंछें भावनाओं में उलझा व्ययं
कौन जाने आपसे मेरा क्या संबंध है
मन कहे कि आप निबद्ध हैं।
धीरेन्द्र सिंह
24.12.2025
22.43
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