सूर्य मुझसे लिपटता है प्रसन्न मना गुनगुनाऊँ
या लोटा जल लेकर कामना के छल चढ़ाऊँ
अनेक ज्योतिषाचार्य एक दशक से रहे बोल
सूर्य को जल चढ़ाएं उपलब्धि होगी अनमोल
सूर्य को मन प्रणाम करता सूर्योदय जब पाऊँ
या लोटा जल लेकर कामना के छल चढ़ाऊँ
सूर्य है तो सृष्टि है वहीं से ऊर्जा वृष्टि है
सूर्य सा जो तेजस्वी युग की नई दृष्टि है
सनातन में गहन डूब सत्य के समीप जाऊं
या लोटा जल लेकर कामना के छल चढ़ाऊँ
कुंडली में सूर्य कमजोर तो कैसी घबराहट
आत्म सूर्य कर प्रखर भर प्रयास गर्माहट
अंतर्मन की रश्मियों संग सूर्य ओर धाऊँ
या लोटा जल लेकर कामना के छल चढ़ाऊँ
पूजा-पाठ का भला क्यों कोई विरोध करे
पूजा-पाठ पद्धतियों में पर नव प्रयोग करें
सूर्य रश्मि स्पर्श से आशीष सूर्य का पाऊँ
या लोटा जल लेकर कामना के छल चढ़ाऊँ।
धीरेन्द्र सिंह
17-19.12.2025
22.45
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