ज्वालामुखी
कब दिखती है रौद्र
पहाड़ के भीतर
अपनी प्रक्रिया में
अनवरत
रहती है खौलती
ललक में,
क्रिया की प्रतिक्रिया
अथवा
प्रक्रिया की स्वक्रिया
शोधार्थी सक्रियता से
इस तूफानी उठान की
कर रहे विभिन्न खोज,
ज्वालामुखी क्रिया
निरंतर हर रोज,
फूटती हैं हृदय
हृदय की भी ज्वालामुखी
लक्षित प्यार पर
छा जाती है
राख की बादल बन,
एक आग संजोया है दिल
उमड़ती-घुमड़ती
चिंगारियों को समेटे,
सर्जना, अर्चना
शोध, प्रतिशोध
पाते अवरोध,
रचते -बसते-फड़कते
घूमते रहते हैं भीतर
व्यक्ति चलते रहता है
भीतर ज्वालामुखी संजोए,
ज्वालामुखी सक्रिय पहाड़
रहते हैं विभिन्न निगरानी में
यही तथ्य है जुड़ा
मानव की जिंदगानी में,
निष्क्रय पहाड़ को
स्थिर औंधे पाते हैं
इसीलिए यह पहाड़
प्रायः रौंदे जाते हैं।
धीरेन्द्र सिंह
26.11.2025
05.13
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