रविवार, 14 मई 2023

नक्को प्यार

 अवसादों का दे, अभिनव झंकार

ना बाबा ना बाबा नक्को प्यार


अतृप्त कामनाओं का है निनाद

विस्मृत सुधियों का है संवाद

पल प्रति पल बस मांगे इकरार

ना बाबा ना बाबा नक्को प्यार


शब्द वाक्य भाव, रहते अंझुराय

अर्थ युक्ति अभिव्यक्ति धाय

कभी किनारे लगे कभी मझधार

ना बाबा ना बाबा नक्को प्यार


मन पुकारे, मोबाइल पर नहीं उठाया

कैसे कह दूं अपना जब कृत्य पराया

चाहत चकनाचूर यह तो दुत्कार

ना बाबा ना बाबा नक्को प्यार


कुछ महीने प्रीत की अविरल फुहार

फिर छींटों में दिखे आपसी प्रतिकार

महीनों तक खींचे, गूंज ललकार

ना बाबा ना बाबा नक्को प्यार


सोशल मीडिया फोन अचानक ब्लॉक

रोशनदान भी नहीं रोशनी कैसे झांक

थर्ड पार्टी बीच, उल्लसित मदभार

ना बाबा ना बाबा नक्को प्यार।


धीरेन्द्र सिंह

14.05.2023

04.38


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