बुधवार, 12 अप्रैल 2023

यादों की छुवन

मन किसी धूप के टुकड़े में डूबी सर्दी है

आप चाहें न चाहें आपकी यह मर्जी है


एक हालत में उलझी हुई है जिंदगी यह

आपकी याद समझना ना खुदगर्जी है


अलहदा मन की आवारगी कह लीजिए 

भरम ना रखिये कि चाहत की अर्जी है


एक सिहरन उठी दौड़ पड़ा याद आईं

छत पर भावनाओं की बिखरी कई जर्दी है


धूप यादों की छुवन की ऊष्मा सी लगे 

या खयालों में बिखरी कोई हमदर्दी है।


धीरेन्द्र सिंह

10.04.2023

06.05

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