गमगीन है, उदास है
डगमग लगे विश्वास है
एक द्वंद्व अजूबा सा
वैचारिक उलझा उच्छवास है
यह प्यास की अपूर्णता
या फिर नई तलाश है
मन तो आराजित रहे
जीवन में क्या खास है
जो उलझा वही सुलझा
जो सुलझा वही विन्यास है
निष्क्रियता है स्पंदनहीनता
उलझिए न क्यों हताश हैं
पीड़ा का अर्थ नवीनता
सहनशीलता ही आकाश है
धरा की जो है उर्वरताएँ
अनेकों संभावनाओं की आस है।
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