मत आओ मुझसे करने प्यार
हो गया तो स्वयं करो सत्कार
आरम्भिक दो महीने मधुर झंकार
फिर होती नौका बिन पतवार
प्रश्न उठता बलखाती क्यों धार
हो गया तो स्वयं करो सत्कार
प्रश्न ऐसे उभरे भाग जाएं यक्ष
जैसे बतलाओ हृदय कितने कक्ष
राम सा ही हृदय बजरंगी उद्गार
हो गया तो स्वयं करो सत्कार
प्यार जाए पार्श्व सक्रिय प्रश्नोत्तरी
कहां किया प्यार, किस्मत धत तेरी
कोई नहीं होता ऐसे में मदतगार
हो गया तो स्वयं करो सत्कार।
धीरेन्द्र सिंह
12.08.2024
09.11