तथ्य कटोरे में
सत्य असमंजस में
झूठ दिख रहा प्रखर
दृष्टि ढंके अंजन में
समय को कैसे रहे ऐंठ
जिसकी लाठी उसकी भैंस
सीढियां लगी ऊंची-ऊंची
झाड़ू सक्रिय है जाले में
कई प्रयास उपद्रव करते
कहते आ जा पाले मैं
कहां-कहां हठकौशल पैठ
जिसकी लाठी उसकी भैंस
शास्त्र को इतना मुखर किए
शस्त्र से नाता कब छूट गया
विश्व शस्त्र की गूंज ले जगा
शास्त्र जुड़ी आशा लूट गया
फिर उभरे शस्त्र अपनाते तैश
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
धीरेन्द्र सिंह
17.09.2025
18.56