आप किससे कह दिए किसकी कहानी है
सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है
एक स्वप्न का जलता दिया दिखता सिरहाने
नित चित्र शब्दों का है सिजता रंग मनमाने
गहरी निगाहों में मिलती उसकी कद्रदानी है
सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है
ना समझें देह के अवयव की है यह गाथा
हृदय में उतर पाता वही यौवन देख भी पाता
एक ऊर्जा उन्मुक्त करती रहती मनमानी है
सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है
उम्र की गिनतियों से यौवन का क्या लेना-देना
हृदय जब तक जीवंत स्वप्नों का रहता बिछौना
जीवन है समस्या, संघर्ष ही का आग-पानी है
सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है।
धीरेन्द्र सिंह
26.12.2025
13.03

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