गुरुवार, 25 दिसंबर 2025

जवानी

आप किससे कह दिए किसकी कहानी है

सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है


एक स्वप्न का जलता दिया दिखता सिरहाने

नित चित्र शब्दों का है सिजता रंग मनमाने

गहरी निगाहों में मिलती उसकी कद्रदानी है

सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है


ना समझें देह के अवयव की है यह गाथा

हृदय में उतर पाता वही यौवन देख भी पाता

एक ऊर्जा उन्मुक्त करती रहती मनमानी है

सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है


उम्र की गिनतियों से यौवन का क्या लेना-देना

हृदय जब तक जीवंत स्वप्नों का रहता बिछौना

जीवन है समस्या, संघर्ष ही का आग-पानी है

सैकड़ों की भीड़ ना उस जैसी जवानी है।


धीरेन्द्र सिंह

26.12.2025

13.03



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