सत्य निष्ठा पुस्तकों की बानगी है
लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है
पहुंच जाना पा लेना पसारे डैना
घर से बहक जाने का चाल ले पैना
घर से दर्द उठता है भ्रम चाँदनी है
लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है
पति-पत्नी में पनप रहा है वैमनस्व
परिवार का कंपित हो रहा है घनत्व
अपनेपन प्यार की ना परवानगी है
लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है
हृदय में प्यार लहरे यही तो लक्ष्य है
घर के बाहर प्यार खोजना सत्य है
स्पंदनों में उभरती चाह रागिनी है
लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है।
धीरेन्द्र सिंह
24.12.2025
04.52

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