मंगलवार, 23 दिसंबर 2025

दीवानगी

सत्य निष्ठा पुस्तकों की बानगी है

लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है


पहुंच जाना पा लेना पसारे डैना

घर से बहक जाने का चाल ले पैना

घर से दर्द उठता है भ्रम चाँदनी है

लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है


पति-पत्नी में पनप रहा है वैमनस्व

परिवार का कंपित हो रहा है घनत्व

अपनेपन प्यार की ना परवानगी है

लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है


हृदय में प्यार लहरे यही तो लक्ष्य है

घर के बाहर प्यार खोजना सत्य है

स्पंदनों में उभरती चाह रागिनी है

लक्ष्य भेदना अब की दीवानगी है।


धीरेन्द्र सिंह

24.12.2025

04.52





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