दशानन का शमन
वमन हुआ वह कहकहा
यही है दशहरा
विभीषण कहें या खुफिया
विशाल शक्ति ढहाढहा
यही है दशहरा
स्वयं में है रावण
या परिवेश दे रावण, भरभरा
यही है दशहरा
अपनों में भरे रावण
धनु राम का हुंकार भरा
यही है दशहरा
एक संकल्प ले शपथ
सोच से परे दांव फरफरा
यही है दशहरा
जीवित रावण बहुरूपिया
राम तीर अग्नि सुनहरा
यही है दशहरा।
धीरेन्द्र सिंह
वाह ! दशहरे को परिभाषित करतीं विभिन्न भाव स्थितियाँ, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद।
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